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Showing posts from October, 2017

Is Upaya Se Kare Ghar Ki Negative Energy Ko Koso Door (इस उपाय से करें घर की नकारात्मक ऊर्जा को कोसों दूर)

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अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए आप तुलसी के उपायों को अपना सकते हैं। इन उपाय से ना केवल आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी, बल्कि आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा भी खत्म हो जाती है। आइए जाने, यह उपाय क्या है- tulsi ke fayde यह उपाय बहुत ही ज्यादा कारगर हैं। यह मनोकामनाओं को पूर्ण करने का एक सरल उपाय हैं। तुलसी के इन उपायों द्वारा आप अपने जीवन की कई परेशानियों को हल कर सकते हैं। पीतल का एक कलश ले, उसमें पानी भरकर रख दें और उसमें तुलसी के पांच पत्ते डाल दें। 1 दिन के लिए इसे ऐसे ही रखना है। जिस दिन पानी में तुलसी के पत्ते डालें उस के दूसरे दिन इस जल को पीतल कलश में डाल दे। उस जल को घर के मुख्य द्वार पर छिड़कना है। जैसे हम जल के छींटे देते हैं ठीक उसी तरह से घर के हर कोने पर आपको जल छिड़कना है। उससे तुलसी की अंदर की पवित्र ऊर्जा सारे स्थानो पर फैल जायेगी, इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त किया जा सकता है। नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए इस उपाय को करना चाहिए। यह पैसे की कमी को खत्म करेगा। इस छोटे से प्रयोग के द्वारा आप अपने जीवन में ढेर सारी खुशियां ला सकते है, नकारात्मक ऊर्जा और कठि

"Padmavati" This Story Of Rani Padmavati (रानी पद्मावती की कहानी)

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रानी पद्मावती, पद्मिनी, पद्मावत इन 3 नामों से जाना जाता है। इनका इतिहास  13 वीं - 14 वीं सदी में कहा गया था। उस समय की यह महान रानी थी, पर रानी पद्मावती के अस्तित्व को लेकर इतिहास में कोई भी दस्तावेज मौजूद नहीं है, पर चित्तौड़ में आपको रानी पद्मावती के बारे में बहुत कुछ सुनने को मिल जाएगा। padmavati पद्मिनी, सिंहल द्वीप (श्रीलंका) की सुंदर राजकन्या थी। जिनका विवाह भीमसेन (रतन सिंह) के साथ हुआ था। इससे पूर्व पद्मिनी ने अपना जीवन अपने पिता गंधर्व सेन और माता चंपावती के साथ सिंहाला में व्यतीत किया था। रानी पद्मावती के पास एक तोता था, जिसका नाम हीरामणि था। रानी पद्मावती के विवाह के लिए उनके पिता ने एक स्वयंवर का आयोजन किया था। जिसमें हिंदू राजपूत राजाओं को आमंत्रित किया गया था। जिसमें अन्य राजाओं के साथ रतन सिंह भी पहुंचे, यह रतन सिंह का दूसरा विवाह था। उनकी पहली पत्नी का नाम नागमती था। जिनके साथ वे स्वयंवर में पहुंचे थे। स्वयंबर में उन्होंने मलखान सिहं को पराजित कर रानी पद्मावती से विवाह किया। स्वयंबर के बाद वह अपनी दोनों पत्नियों के साथ चित्तौड़ लौट आए। चित्तौड़

Tulsi Vivah Katha Aur Aarti (तुलसी विवाह कथा एवं आरती)

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देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी विवाह कथा जरूर पढ़ना चाहिये। इस कथा को पढ़ने से और श्रवण करने से हमारे सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं, और हमें पापों से मुक्ति मिलती है। dev uthani ekadashi यह भी पढ़ें-   Ekadashi Vrat Niyam, Is Din Bhool Kar Bhi Ye Kaam Na Kare, (एकादशी व्रत के नियम, एकादशी में भूलकर भी यह काम ना करें) वीडियो देखें- तुलसी विवाह कथा जलंधर नाम का एक दानव था। उसकी पत्नी वृंदा कठोर पतिव्रता धर्म का पालन करती थी। जलंधर की पत्नी की पतिव्रता शक्ति के कारण बड़े से बड़े देवता भी उसे परास्त नहीं कर पाये। वह अभिमान से ग्रस्त होकर अत्याचार करने लगा। सभी देवता रक्षा के लिए विष्णु भगवान के पास पहुंचे। विष्णु भगवान ने छल से जलंधर का वेश धारण करके वृंदा का सतीत्व भंग कर दिया। इस कारण जलंधर मारा गया। इस बात पर क्रोधित होकर वृंदा ने विष्णु जी को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। यह भी पढ़ें- Dev Uthani Gyaras Ke Din Kare Ye 5 Upay, Vrat Hoga Safal (देवउठनी ग्यारस के दिन करें ये 5 अचूक उपाय,व्रत होगा सफल) विष्णु जी ने कहा – हे वृंदा, तुम मुझे बहुत प्रिय हो। तुम्हारे

Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi Evam Muhurt (देवउठनी एकादशी पूजा विधि एवं मुहूर्त)

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देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। 4 महीने बाद विष्णु जी नींद से जागते हैं। यह एकादशी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। देवउठनी ग्यारस व्रत साल की सबसे बड़ी एकादशी कहलाती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को तुलसी विवाह किया जाता है। dev uthani ekadashi देवउठनी एकादशी पूजन सामग्री- फल फूल, धूप, दीप, भोग, हल्दी, कुमकुम, तिल, हल्दी की गांठ, बताशा, दिये, तुलसी जी, विष्णु जी का चित्र, शालिग्राम, गणेश जी की प्रतिमा या फोटो , पीला कपड़ा, कोई सुंदर रूमाल, श्रृंगार का सामान, कपूर, घी का दीपक, हवन सामग्री । एकादशी पूजन शुभ मुहूर्त- शाम 5.39 से 7.13 तक पूजा की जा सकती है। मुहूर्त की अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। भगवान विष्णु को कैसे जगाए- व्रत रखने वाले इस दिन सुबह स्नान आदि कर के आंगन में चौक या रगोंली बनाएं। इसके बाद भगवान विष्णु के चरणों को किसी सांचे की सहायता से अंकित करें। भगवान से प्रार्थना करें और भगवान विष्णु जी को निद्रा से जगाये। यह भी पढ़ें-  Tulsi Vivah Katha Aur Aarti (तुलसी विवाह कथा ए

Ekadashi Vrat Niyam, Is Din Bhool Kar Bhi Ye Kaam Na Kare, (एकादशी व्रत के नियम, एकादशी में भूलकर भी यह काम ना करें)

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एकादशी व्रत के नियम को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। एकादशी के दिन किए गए जप, तप पुण्य, दान कई हजार गुना बढ़ जाता है। एकादशी व्रत के नियमों का पालन अवश्य करें। एकादशी में भूलकर भी यह काम नहीं करना चाहिए। एकादशी व्रत रखने वालों के सभी कार्य, मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं। अतः एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ करना चाहिए। व्रत के प्रभाव से उत्त्म फल प्राप्त होता है। dev uthani gyaras एकादशी के दिन भूलकर भी यह काम नहीं करना चाहिए, नहीं तो व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। यह भी पढ़ें- Dev Uthani Gyaras Ke Din Kare Ye 5 Upay, Vrat Hoga Safal (देवउठनी ग्यारस के दिन करें ये 5 अचूक उपाय,व्रत होगा सफल) 1. एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए क्योंकि चावल खाने से मन चंचल होता है। इससे मन प्रभु भक्ति से अलग हो जाता है। 2. नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन नशीली वस्तुओं का बिल्कुल भी ना करें। वैसे तो हमेशा ही इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है। 3. हमें भजन कीर्तन

Dev Uthani Gyaras Ke Din Kare Ye 5 Upay, Vrat Hoga Safal (देवउठनी ग्यारस के दिन करें ये 5 अचूक उपाय,व्रत होगा सफल)

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एकादशी व्रत रखने से संतान सुख, धन, संपत्ति, यश आदि का सुख प्राप्त होता है। प्रबोधिनी एकादशी को पाप मुक्त करने वाली एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।  देवउठनी ग्यारस में यह 5 अचूक उपाय करके अपने जीवन में परिवर्तन देखें और यह देखें कि किस तरह से इस व्रत के प्रभाव से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। dev uthani ekadashi इस दिन 4 महीने पहले देवशयनी ग्यारस के दिन भगवान विष्णु जी एवं अन्य सभी देवता क्षीरसागर में जाकर सो जाते हैं, इसलिए इन दिनों व्रत, पूजा पाठ, दान, पुण्य अादि कार्य किए जाते हैं। चार महीनों में कोई भी बड़े शुभ कार्य जैसे- शादी-विवाह, मुंडन संस्कार, नामकरण संस्कार अादि कार्य नहीं किए जाते। यह भी पढ़ें-  Ekadashi Vrat Niyam, Is Din Bhool Kar Bhi Ye Kaam Na Kare, (एकादशी व्रत के नियम, एकादशी में भूलकर भी यह काम ना करें) यह सभी देवउठनी ग्यारस(एकादशी) से प्रारंभ होते हैं। इस दिन तुलसी विवाह का विशेष महत्व माना जाता है। यह दीपावली के 12वें दिन मनाया जाता है। यह मनोकामना पूर्ण करने का दिन होता है। Dev uthani Gyaras ki Sampoorna puja vidhi evam samigri 2018

Air Pollution Is A Slow Poison That Is Slowly Eliminating You (वायु प्रदूषण एक धीमा जहर है जो आप को धीरे-धीरे खत्म कर रहा है।)

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इंसान को कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर फर्क पड़ता होता तो दिल्ली में यह देखने नहीं मिलता । सुप्रीम कोर्ट का आदेश पब्लिक ने नहीं माना, पटाखे भी फोड़े गए और बहुत जोरों से फोड़ें । लगता है इंसान को अपने जीवन से प्यार नहीं है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है, जीवन मे इतनी सारी परेशानियां कौन झेलेगा, उससे अच्छा पटाखे फोड़ें, जिंदगी खुद फूट जाएगी। pollution ऐसा कहना तो नहीं चाहिए पर क्या करें, इंसान बहुत समझदार है, इतना समझदार है कि उसकी समझदारी की मिसाल इन्हीं बातों से ली जा सकती है, कि जिस बात के लिए उसको मना करो वह वही करता है, इसमें उसकी शान है और जब शान पर बात आ जाए तो आदमी कैसे चुप रह सकता है । पटाखे तो हम फोड़ेंगे दिवाली का मतलब ही पटाखा है, पटाखा नहीं तो कैसी दिवाली । वैसे हमारे धर्म ग्रंथों में पटाखे का जिक्र तो नहीं है, पर क्या करें, हमें खुशी इन्हीं चीजों से मिलती है, जिसमें हमारा ही नुकसान होता है, हमें क्या फर्क पड़ता है कि कौन मरता है और कौन जीता है, हम तो जिंदा है ना, हम तो फोड़ेंगे फटाके पूरा मजा इसी जिंदगी में है। भारत में वर्ष 2015 में वायु जल और दूसरे तरह के कई