Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi Evam Muhurt (देवउठनी एकादशी पूजा विधि एवं मुहूर्त)

देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। 4 महीने बाद विष्णु जी नींद से जागते हैं। यह एकादशी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। देवउठनी ग्यारस व्रत साल की सबसे बड़ी एकादशी कहलाती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को तुलसी विवाह किया जाता है।

Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi Evam Muhurt
dev uthani ekadashi


देवउठनी एकादशी पूजन सामग्री- फल फूल, धूप, दीप, भोग, हल्दी, कुमकुम, तिल, हल्दी की गांठ, बताशा, दिये, तुलसी जी, विष्णु जी का चित्र, शालिग्राम, गणेश जी की प्रतिमा या फोटो ,पीला कपड़ा, कोई सुंदर रूमाल, श्रृंगार का सामान, कपूर, घी का दीपक, हवन सामग्री
एकादशी पूजन शुभ मुहूर्त-
शाम 5.39 से 7.13 तक पूजा की जा सकती है।
मुहूर्त की अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।
भगवान विष्णु को कैसे जगाए-
व्रत रखने वाले इस दिन सुबह स्नान आदि कर के आंगन में चौक या रगोंली बनाएं। इसके बाद भगवान विष्णु के चरणों को किसी सांचे की सहायता से अंकित करें। भगवान से प्रार्थना करें और भगवान विष्णु जी को निद्रा से जगाये।
देवशयनी एकादशी की विधि ब पूजन कैसे करें-
1. गन्ने की सहायता से मंडप बनाएं। सबसे पहले गणेश पूजन करें।
2. चौक, रंगोली बनायें, एक पटा रखे, उस पर कपड़ा बिछाये।
3. पटे पर तुलसी जी का गमला, भगवान विष्णु जी की मूर्ति स्थापित करें और शालिग्राम जी की स्थापना तुलसी जी के गमले में ही करें।
4. उन्हें पीले वस्त्र चढ़ाएं, भगवान विष्णु जी को पीला वस्त्र अति प्रिय है।
5. तांबे के बर्तन में भोग रखकर, भगवान को चढ़ाएं।
6. लाल रंग की ओढ़नी चढ़ाएं, सुहाग का सामान तुलसी जी को अर्पित करें।
चावल ना चढ़ाएं, तिल चढ़ाये।
7. गन्ने से बनाए गए मंडप को, हल्दी, कुमकुम से पूजा करें।
8. देवउठनी एकादशी को रात्रि के समय भगवान का पूजन शुरु करें।
9. इसमें 3, 5 या 7 गन्नों से मंडप सजांये और जिस तरह से हम विवाह मे मंडप सजाकर विवाह संपन्न करते हैं, ठीक उसी तरह से मंडप सजाकर तुलसी विवाह करें।  
10. पूजन करने के लिए भगवान का मंदिर एवं विभिन्न सामग्री फल-फूल, सिंहासन, रगोंली सजाएं।
वीडियो देखें-

11. इसके बाद पकवान, मिठाई, सिंघाड़े, गन्ने से मंडप बनाए।
12. विष्णु जी का पूजन पंचोपचार विधि अनुसार करें।
13. देवशयनी एकादशी को रात्रि के समय एकादशी व्रत कथा पढ़ें।
14. 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र से पूजा करें।
15. तुलसी विवाह व्रत कथा पढ़ने के बाद हवन करें
16. कपूर, घी के दीपक से आरती करें, प्रसाद वितरण करें।
Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi Evam Muhurt
dev uthani gyaras

यह भी पढ़ें- Ekadashi Vrat Niyam, Is Din Bhool Kar Bhi Ye Kaam Na Kare, (एकादशी व्रत के नियम, एकादशी में भूलकर भी यह काम ना करें)

व्रत के शुभ प्रभाव व शुभफल

1. पूजा के दौरान जब आप सुबह उठे तो आपको कुछ पत्ते तुलसी के गिरे हुए दिखाई देंगे, इन पत्तों को उठाकर खा लें, ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

2. इस व्रत के प्रभाव से अनेकों जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। और 100 हजार गौ दान के बराबर का फल हमें प्राप्त होता है।

3. एकादशी व्रत नियमो का पालन करें और पूजा में तुलसी के पत्ते शामिल करें।
इस व्रत के प्रभाव से सभी विघ्न-बाधा से मुक्ति मिलती है। और उत्तम फल की प्राप्ति होती है।

Comments

Popular posts from this blog

Top 10+ Motivational YouTube Channel Of India. Hindi Me Most Popular मोटिवेशनल यूट्यूब चैनल

Top 20+ Tech YouTube Channel of India, Hindi me (भारत के टॉप 20+ टेक यूट्यूब चैनल, हिंदी में)

Karma Our Bhagya In Dono Mein Kaun Shresth Hai is Baat ki Duvidha Ko Dur Karti Hai Bhagavad Gita | कर्म और भाग्य इन दोनों में कौन श्रेष्ठ है इस बात के दुविधा को दूर करती है भगवत गीता|