The Secret of Shiva's Kanwar Yatra शिव जी की कावड़ यात्रा का रहस्य
The secret of Shiva's kanwar Yatra, Sawan Ke mahine mein Bhagwan Shiv Ki kanwar Yatra Nikali Jati hai.Kawar Yatra nikalne ke liye Bhakt badi Shraddha bhaw se nadi se Jal bhar kar Bhagwan Shiv par Jal Abhishek Karte Hain.
क्या आप जानते हैं -
Bhagwan Shiv's की कावड़ यात्रा क्यों निकाली जाती है इससे जुड़े कुछ रोचक बातें हम आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.
हिंदू धर्म के अनुसार भगवान शिव की कावड़ य़ात्रा का नियम है, जिस कारण से भोलेनाथ के भक्त उनकी प्रिय कावड़ यात्रा निकालते हैं। लेकिन यह यात्रा कैसे और कब शुरू हुई, इसके बारे में आप शायद जानते होंगे।
आइए जान लेते हैं, इससे जुड़ी कुछ मान्यताओं के बारे में - "The secret of Shiva's kanwar Yatra"
कथा के अनुसार
माना जाता कि इस यात्रा की शुरुआत समुद्र मंथन के समय से हुई है, समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीने के बाद शिवजी का शरीर नीला हो गया था।
जिसे देखकर देवतागण परेशान होने लगे। इसके प्रभाव को खत्म करने के लिए उन्होंने पवित्र गंगाजल को शिव के शरीर में कांवड़ में भरकर चढ़ाया था।
लोगों का यह भी मानना है कि श्रवण कुमार ने भी इस परंपरा की शुरुआत की थी। अपने माता-पिता को हरिद्वार में गंगा स्नान कराने की इच्छा को पूरा करने के लिए कांवड़ में बैठाकर ले गए थे। तभी से कावड़ यात्रा की शुरुआत हुई।
पौराणिक कथाओं व मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले भगवान राम ने उन्होंने कावड़ में जल भरकर शिवलिंग का अभिषेक किया था।
इसके अलावा प्रचलित मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम ने भी कावड़ उठाई थी।
गंगाजल से भोलेनाथ का अभिषेक करने से, भोलेनाथ का शरीर ठीक हो गया। इसलिये भोलेनाथ की
कावड़ यात्रा निकाली जाती है। और गंगाजल लेकर नीलकंठ महादेव को चढ़ाते हैं।
"The secret of Shiva's kanwar Yatra" जैसे जो भी Shiva-bhakt Bhagwan Neelkanth Mahadev पर Sawan Mah में कांवड़ के द्वारा Jal Abhishek करता है, उसे विशेष फल की प्राप्ति होती है। भोलेनाथ बेहद ही दयालु हैं। उनके ऊपर जल चढ़ाने वाले और उनको स्मरण करने वाले व्यक्तियों के सारे कष्ट हर लेते हैं।
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Kanwar Yatra |
क्या आप जानते हैं -
Bhagwan Shiv's की कावड़ यात्रा क्यों निकाली जाती है इससे जुड़े कुछ रोचक बातें हम आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.
हिंदू धर्म के अनुसार भगवान शिव की कावड़ य़ात्रा का नियम है, जिस कारण से भोलेनाथ के भक्त उनकी प्रिय कावड़ यात्रा निकालते हैं। लेकिन यह यात्रा कैसे और कब शुरू हुई, इसके बारे में आप शायद जानते होंगे।
आइए जान लेते हैं, इससे जुड़ी कुछ मान्यताओं के बारे में - "The secret of Shiva's kanwar Yatra"
कथा के अनुसार
माना जाता कि इस यात्रा की शुरुआत समुद्र मंथन के समय से हुई है, समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीने के बाद शिवजी का शरीर नीला हो गया था।
जिसे देखकर देवतागण परेशान होने लगे। इसके प्रभाव को खत्म करने के लिए उन्होंने पवित्र गंगाजल को शिव के शरीर में कांवड़ में भरकर चढ़ाया था।
लोगों का यह भी मानना है कि श्रवण कुमार ने भी इस परंपरा की शुरुआत की थी। अपने माता-पिता को हरिद्वार में गंगा स्नान कराने की इच्छा को पूरा करने के लिए कांवड़ में बैठाकर ले गए थे। तभी से कावड़ यात्रा की शुरुआत हुई।
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पौराणिक कथाओं व मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले भगवान राम ने उन्होंने कावड़ में जल भरकर शिवलिंग का अभिषेक किया था।
इसके अलावा प्रचलित मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम ने भी कावड़ उठाई थी।
गंगाजल से भोलेनाथ का अभिषेक करने से, भोलेनाथ का शरीर ठीक हो गया। इसलिये भोलेनाथ की
कावड़ यात्रा निकाली जाती है। और गंगाजल लेकर नीलकंठ महादेव को चढ़ाते हैं।
"The secret of Shiva's kanwar Yatra" जैसे जो भी Shiva-bhakt Bhagwan Neelkanth Mahadev पर Sawan Mah में कांवड़ के द्वारा Jal Abhishek करता है, उसे विशेष फल की प्राप्ति होती है। भोलेनाथ बेहद ही दयालु हैं। उनके ऊपर जल चढ़ाने वाले और उनको स्मरण करने वाले व्यक्तियों के सारे कष्ट हर लेते हैं।
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