Hanuman Jayanti Katha 5 interesting story and Shubhkamna Sandesh (sms)
Hanuman Jayanti श्री हनुमान जी का जन्म जिसको सभी बहुत हर्ष उल्लास से मनाते हैं. Pawan Putra Hanuman ji ने इस पृथ्वी पर अनेकों चमत्कार दिखाएं. Rudra Avatar Hanuman ji परम शक्तिशाली और चिरंजीवी है. वह कलियुग के अंत तक सभी मानव जाति का कल्याण करते रहेगे. आइए जानते हैं 5 interesting story और Shubhkamna Sandesh (SMS)
हनुमान जी अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होते हैं. और उनके सारे कष्टों को हर लेते हैं. श्री हनुमान जी की जन्मदिन की कई कथाएं हैं, जिन्हें सब Rudra Avatar Hanuman कहते हैं. इन्हें Pawan पुत्र हनुमान भी कहा जाता है. यह हनुमान पवन देव के पुत्र हैं. अंजनी पुत्र हनुमान जो अद्भुत शक्तियों से सुसज्जित है.
"कष्ट मिटे मिटे सब पीरा
जपत रहो हनुमत बलबीरा"
अपनी पूंछ को बुझाने के लिए समुद्र के पास पहुंचे जलती हुई पूंछ के कारण हनुमान जी को तीव्र वेदना हो रही थी. जिसके कारण उनके शरीर से पसीना टपक रहा था और पसीने की एक बूंद को मछली ने पी लिया. जिससे मछली गर्भवती हो गई. जब अहिरावण के द्वारा उस मछली को पकड़ा गया. तब उस मछली के पेट में से Makardhwaj बालक प्रकट हुआ. मकरध्वज हनुमान जी के समान बहुत बलशाली और दिव्यता से परिपूर्ण था. हनुमान जी के समान ही उसमें तेज और बल था. अहिरावण ने उसको अपना द्वारपाल नियुक्त किया.
Hanuman जी के समान ही वह भी स्वामी भक्त था. जब अहिरावण ने श्री रामचंद्र जी और लक्ष्मण जी को देवी के समक्ष बलि चढ़ाने के लिए पाताल लोक लाया गया. तब Hanuman जी उनको छुड़ाने के लिए पाताल लोक पहुंचे. तब उनका सामना द्वारपाल Makardhwaj से हुआ. तब हनुमानजी ने उससे उनका परिचय पूछा कि आप कौन है और यहां आप क्या कर रहे हैं. तब उन्होंने बताया कि मैं हनुमान पुत्र मकरध्वज हूं. तब Hanuman ji ने कहा कि मैं तो ब्रह्मचारी हूं, मेरा कोई पुत्र नहीं है. तब Makardhwaj ने यह कथा सुनाई और कहां कि मैं भी स्वामी भक्त हूं. मैं आपको अंदर नहीं जाने दूंगा. आपको मुझसे युद्ध करना होगा, तब Hanuman ji और Makardhwaj का युद्ध हुआ. उसमें हनुमान जी विजय हुए और उन्होंने अहिरावण से Shri Ramchandra ji और Lakshman ji को छुड़ाया और अहिरावण का वध किया और मकरध्वज को पाताल लोक का राजा घोषित किया.
↞****राम****↠
सभा में सभी गुरुओं का उन्होंने आदर सत्कार किया, पर विश्वामित्र से उन्होंने प्रणाम नहीं किया. इस पर विश्वामित्र क्रोधित हो गए और उन्होंने राजा ययाति को मृत्यु दंड देने की ठानी. तब ऋषि विश्वामित्र भगवान राम के पास पहुंचे और उन्होंने Bhagwan Ram से कहा कि उस दुष्ट राजा ने मेरी अवज्ञा की है. उस राजा को मृत्यु दंड मिलना चाहिए. आज सूर्य ढलने से पहले तुम उस राजा को मृत्युदंड दो, तब भगवान श्रीराम ने गुरु जी की आज्ञा का पालन करते हुए उस राजा को मृत्युदंड देने के लिए निकल पड़े. जब इसकी सूचना राजा ययाति को मिली तो वह बहुत घबरा गए. उन्होंने माता अंजनी की शरण ली और उनसे कहा कि माता आप मुझे एक वचन दीजिए. तब अंजनी माता ने उनसे पूछा कि आप मुझसे कौन सा वचन मांग रहे हैं. तब राजा ने पूर्ण जानकारी नहीं दी और उनसे वचन ले लिया.
उन्होंने वचन लिया राम के द्वारा आज सूर्य अस्त से पहले मेरा बध कर दिया जाएगा. तो मैं चाहता हूं कि आप मेरे प्राणों की रक्षा करें. माता अंजनी ने वचन दे दिया था. वचन का पालन करना जरूरी था. जिसके लिए उन्होंने Hanuman जी को आज्ञा दी कि तुम भगवान राम से राजा ययाति की रक्षा करोगे. हनुमान जी बड़े धर्म संकट में फंस गए कि एक तरफ माता और एक तरफ श्री राम. तब उन्होंने अपने माता के वचन का पालन करने का निर्णय लिया और उस राजा ययाति की रक्षा करने का निर्णय लिया. उन्होंने राजा से कहा कि तुम राम नाम जपते रहो. जब भी भगवान राम तुम पर शस्त्र का उपयोग करेंगे. तब तुम राम नाम जप चालू कर देना. जिससे भगवान राम के कोई भी अस्त्र तुम पर नहीं चलेंगे. राजा ने वैसा ही किया. जब भी भगवान राम कोई भी शस्त्र उन पर चलाते थे, तब वह शस्त्र विफल हो जाते थे. ऐसा निरंतर चलता रहा, भगवान राम का अपने गुरु को दिया वचन पूर्ण करना था.
तब राजा ने ऋषि विश्वामित्र से क्षमा प्रार्थना की और प्राणों को बचाने के लिए विनती की. उस बिनती को मानते हुए विश्वामित्र जी ने भगवान राम से उस बचन को वापस ले लिया. उन्होंने रामचंद्र जी से कहा कि आप को दिए हुए वचन से मैं मुक्त करता हूं.
जिसमें उन्होंने कहा था कि आप राजा यति को मृत्युदंड दे. इस वचन के वापस लेने पर भगवान राम का गुरु की आज्ञा का वचन भी नहीं टूटा और हनुमान जी का माता की आज्ञा का वचन भी नहीं टूटा. हनुमान जी भगवान राम से बिना शस्त्र उठाए जीत गए. यह भगवान राम के नाम का प्रभाव था, जिसके सामने सारे शस्त्र हार गये.
हनुमान जी बेहद ही चतुर थे, उन्होंने बिना शस्त्र उठाए राम जी से जीत हासिल कर ली, वह भी उनके नाम के सहारे।
हनुमानजी ने शनिदेव को अपनी पूंछ पर लपेटकर बड़े जोरों से पत्थर पर पटकना शुरू कर दिया. जिससे शनि देव को बहुत अधिक चोटें आई. जिस पर शनि देव ने हनुमान जी से क्षमा प्रार्थना की और कहा कि आप मुझे क्षमा कर दें. मैं ऐसी गलती नहीं करूंगा. हनुमानजी ने शनिदेव को छोड़ दिया, पर शनिदेव को बहुत अधिक चोट आई थी. वह दर्द से कराह रहे थे. तब हनुमान जी को दया आई और उन्होंने शनिदेव को तेल दिया और कहा कि आप इस तेल से मालिश कीजिए. आपके कष्ट दूर होंगे. शनिदेव ने वैसा ही किया तब से आज तक शनिदेव पर तेल चढ़ाया जाता है. हनुमान जी की कृपा जिस पर हो जाए. उस पर कोई भी कष्ट नहीं आ सकते और जिस पर क्रोध आ जाए. उसको इस संसार में कोई भी नहीं बचा सकता.
भगवान राम और हनुमान जी की कथाएं, यह धर्म ग्रंथों से मिलती है. कुछ बड़े बुजुर्गों द्वारा बताई गई कथाएं हैं. इनकी सत्यता की पुष्टि हम नहीं कर सकते. हम इस में सक्षम नहीं. भगवान राम और हनुमान जी परम सत्य हैं. अटल सत्य हैं. हमारे द्वारा बताई गई कथाएं अगर आपको अच्छी लगी है. तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं और हमारे द्वारा बताई हुई कथाओं में अगर कुछ त्रुटियां हैं, तब भी आप हमें जरुर बताएं. धन्यवाद
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1. Hanuman Jayanti Shubhkamna Sandesh (sms) |
हनुमान जी अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होते हैं. और उनके सारे कष्टों को हर लेते हैं. श्री हनुमान जी की जन्मदिन की कई कथाएं हैं, जिन्हें सब Rudra Avatar Hanuman कहते हैं. इन्हें Pawan पुत्र हनुमान भी कहा जाता है. यह हनुमान पवन देव के पुत्र हैं. अंजनी पुत्र हनुमान जो अद्भुत शक्तियों से सुसज्जित है.
"कष्ट मिटे मिटे सब पीरा
जपत रहो हनुमत बलबीरा"
Hanuman ji की 5 Interesting story
Story 1. Bhagwan Shiv ji ke Rudra Avatar Hanuman Ji Katha
भगवान शिव के रुद्र अवतार हनुमान जी की बहुत ही अद्भुत कथा है. जब देवताओं और राक्षसों ने समुद्र मंथन किया था, तो देवताओं और राक्षसों के बीच में अमृत के लिए वाद विवाद उत्पन्न हो गया था. तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार धारण किया. मोहिनी अवतार ने देवताओं को अमृत दिया. मोहिनी रूप पर भगवान शिव मोहित हो गए. उन्होंने भगवान विष्णु से विनती की कि आप मुझे पुनः उस मोहिनी रूप के दर्शन कराएं. जब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप का दर्शन कराया तो भगवान शिव आकर्षण को देख कर कामातुर हो गए और भगवान शिव के शरीर से अद्भुत तेज उत्पन्न हुआ. उस तेज को पवन देव के द्वारा माता अंजनी के गर्भ में धारण कर दिया गया. जिससे बजरंगबली हनुमान जी का जन्म हुआ.![]() |
2. Hanuman Jayanti Shubhkamna Sandesh (sms) in hindi |
Story 2. Hanuman Ji के Putra Makardhwaj ki Katha
Hanuman ji बाल Brahmachari थे, फिर कैसे उनके पुत्र का जन्म हुआ. जब हनुमान जी सीता जी की खोज करने के लिए लंका पहुंचे, तब उन्होंने अशोक वाटिका में माता सीता जी से भेंट की और उन्होंने बताया कि वह राम दूत राम भक्त हनुमान है. रामचंद्र जी के भेजने पर मैं आपको ढूंढने के लिए आया हूं. उसके पश्चात हनुमान जी ने सीता जी से विदा ली और कहा माता मुझे बहुत भूख लगी है. मैं यह फल खा लेता हूं, जब हनुमानजी ने वाटिका में लगे पेड़ को उखाड़ उखाड़ कर फेंकना शुरु कर दिया और सारी वाटिका उजाड़ दी कुछ फल खाए और कुछ फेंके इस तरह की हलचल देखकर यह खबर रावण तक पहुंचाई गई. तब रावण के आदेश पर मेघनाथ हनुमान जी को पकड़ने के लिए आए. मेघनाथ ने Hanuman ji को पकड़कर रावण की सभा में पेश किया. तब रावण ने हनुमान जी की पूंछ पर आग लगवा दी. उसके बाद Hanuman ji ने पूंछ के साथ सारी लंका में आग लगा दी.![]() |
3. Hanuman Jayanti Shubhkamna Sandesh (sms) in hindi |
Hanuman जी के समान ही वह भी स्वामी भक्त था. जब अहिरावण ने श्री रामचंद्र जी और लक्ष्मण जी को देवी के समक्ष बलि चढ़ाने के लिए पाताल लोक लाया गया. तब Hanuman जी उनको छुड़ाने के लिए पाताल लोक पहुंचे. तब उनका सामना द्वारपाल Makardhwaj से हुआ. तब हनुमानजी ने उससे उनका परिचय पूछा कि आप कौन है और यहां आप क्या कर रहे हैं. तब उन्होंने बताया कि मैं हनुमान पुत्र मकरध्वज हूं. तब Hanuman ji ने कहा कि मैं तो ब्रह्मचारी हूं, मेरा कोई पुत्र नहीं है. तब Makardhwaj ने यह कथा सुनाई और कहां कि मैं भी स्वामी भक्त हूं. मैं आपको अंदर नहीं जाने दूंगा. आपको मुझसे युद्ध करना होगा, तब Hanuman ji और Makardhwaj का युद्ध हुआ. उसमें हनुमान जी विजय हुए और उन्होंने अहिरावण से Shri Ramchandra ji और Lakshman ji को छुड़ाया और अहिरावण का वध किया और मकरध्वज को पाताल लोक का राजा घोषित किया.
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4. Hanuman Jayanti Shubhkamna Sandesh (sms) in hindi |
"Ram Naam japte Raho Milenge Tumhe Hanuman
कष्ट सब मिट जाएंगे, जब बोलोगे तुम राम"
Story 3. Ram Se Bada Ram Ka Naam, Yuddh mein Jeete Ram Se Hanuman Katha राम से बड़ा राम का नाम, युद्ध में जीते राम से हनुमान कथा
Hanumanजी अपनी माता के वचन को पूर्ण करने के लिए और भगवान राम से युद्ध करने के लिए मजबूर थे. कथा इस प्रकार है. एक सभा में राजा ययाति ने महर्षि विश्वामित्र का अनजाने में अपमान कर दिया.सभा में सभी गुरुओं का उन्होंने आदर सत्कार किया, पर विश्वामित्र से उन्होंने प्रणाम नहीं किया. इस पर विश्वामित्र क्रोधित हो गए और उन्होंने राजा ययाति को मृत्यु दंड देने की ठानी. तब ऋषि विश्वामित्र भगवान राम के पास पहुंचे और उन्होंने Bhagwan Ram से कहा कि उस दुष्ट राजा ने मेरी अवज्ञा की है. उस राजा को मृत्यु दंड मिलना चाहिए. आज सूर्य ढलने से पहले तुम उस राजा को मृत्युदंड दो, तब भगवान श्रीराम ने गुरु जी की आज्ञा का पालन करते हुए उस राजा को मृत्युदंड देने के लिए निकल पड़े. जब इसकी सूचना राजा ययाति को मिली तो वह बहुत घबरा गए. उन्होंने माता अंजनी की शरण ली और उनसे कहा कि माता आप मुझे एक वचन दीजिए. तब अंजनी माता ने उनसे पूछा कि आप मुझसे कौन सा वचन मांग रहे हैं. तब राजा ने पूर्ण जानकारी नहीं दी और उनसे वचन ले लिया.
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5. Hanuman Jayanti Shubhkamna Sandesh (sms) in hindi |
तब राजा ने ऋषि विश्वामित्र से क्षमा प्रार्थना की और प्राणों को बचाने के लिए विनती की. उस बिनती को मानते हुए विश्वामित्र जी ने भगवान राम से उस बचन को वापस ले लिया. उन्होंने रामचंद्र जी से कहा कि आप को दिए हुए वचन से मैं मुक्त करता हूं.
जिसमें उन्होंने कहा था कि आप राजा यति को मृत्युदंड दे. इस वचन के वापस लेने पर भगवान राम का गुरु की आज्ञा का वचन भी नहीं टूटा और हनुमान जी का माता की आज्ञा का वचन भी नहीं टूटा. हनुमान जी भगवान राम से बिना शस्त्र उठाए जीत गए. यह भगवान राम के नाम का प्रभाव था, जिसके सामने सारे शस्त्र हार गये.
हनुमान जी बेहद ही चतुर थे, उन्होंने बिना शस्त्र उठाए राम जी से जीत हासिल कर ली, वह भी उनके नाम के सहारे।
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6. Hanuman Jayanti Shubhkamna Sandesh (sms) in hindi |
Story 4. शनिदेव और हनुमान जी की कथा.
हनुमान जी के द्वारा जब सीता जी की खोज करने के लिए वह लंका पहुंचे. तब उन्होंने देखा कि शनिदेव रावण के यहां पर बंदी बने हुए पड़े हैं. तब शनिदेव ने महावीर हनुमान जी से विनती की और कहा कि आप मुझे यहां से छुड़ाएं. तब हनुमान जी ने उनकी विनती को स्वीकार करते हुए शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त कराया. जिससे शनिदेव ने हनुमान जी से कहा आपकी जो भी भक्त होंगे. वह जब भी आपकी पूजा करेंगे. वह मेरे दृष्टि से बचे रहेंगे. मेरा प्रकोप उन पर नहीं चलेगा. इसलिए शनि देव की दृष्टि से बचने के लिए हनुमानजी की पूजा की जाती है.![]() |
7. Hanuman Jayanti Shubhkamna Sandesh (sms) in hindi |
Story 5. जब हनुमानजी की मार से शनिदेव भी नहीं बच सके.
एक कथा के अनुसार जब शनि देव हनुमानजी के ध्यान को भंग करने के लिए कई तरह के उपाय कर रहे थे. जब वह उपाय में विफल हुए तो उन्होंने उनके ध्यान भंग करने के लिए और अधिक परेशानियां पैदा करना शुरू कर दिया. इस पर हनुमान जी ने बड़े विनम्र भाव से कहा कि आप मेरा ध्यान भंग मत करिए. मैं भगवान राम के ध्यान में हूं, तब शनिदेव नहीं माने.हनुमानजी ने शनिदेव को अपनी पूंछ पर लपेटकर बड़े जोरों से पत्थर पर पटकना शुरू कर दिया. जिससे शनि देव को बहुत अधिक चोटें आई. जिस पर शनि देव ने हनुमान जी से क्षमा प्रार्थना की और कहा कि आप मुझे क्षमा कर दें. मैं ऐसी गलती नहीं करूंगा. हनुमानजी ने शनिदेव को छोड़ दिया, पर शनिदेव को बहुत अधिक चोट आई थी. वह दर्द से कराह रहे थे. तब हनुमान जी को दया आई और उन्होंने शनिदेव को तेल दिया और कहा कि आप इस तेल से मालिश कीजिए. आपके कष्ट दूर होंगे. शनिदेव ने वैसा ही किया तब से आज तक शनिदेव पर तेल चढ़ाया जाता है. हनुमान जी की कृपा जिस पर हो जाए. उस पर कोई भी कष्ट नहीं आ सकते और जिस पर क्रोध आ जाए. उसको इस संसार में कोई भी नहीं बचा सकता.
भगवान राम और हनुमान जी की कथाएं, यह धर्म ग्रंथों से मिलती है. कुछ बड़े बुजुर्गों द्वारा बताई गई कथाएं हैं. इनकी सत्यता की पुष्टि हम नहीं कर सकते. हम इस में सक्षम नहीं. भगवान राम और हनुमान जी परम सत्य हैं. अटल सत्य हैं. हमारे द्वारा बताई गई कथाएं अगर आपको अच्छी लगी है. तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं और हमारे द्वारा बताई हुई कथाओं में अगर कुछ त्रुटियां हैं, तब भी आप हमें जरुर बताएं. धन्यवाद
हनुमान जयंती कथा इन हिंदी में हमने आपको पांच कथाओं के बारे में बताया है जिसमें हनुमान जयंती शुभकामना संदेश भी दिए हैं Hanuman Jayanti अर्थार्थ हनुमान जन्म की indiaSkk की तरफ से आप सभी को बहुत सारी शुभकामनाएं.
हनुमान जी की कहानी कथा अगर आपको पसंद आई हो तो हम आप से निवेदन करते हैं कि आप कृपा करके हमें कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें।
हनुमान जी की कहानी कथा अगर आपको पसंद आई हो तो हम आप से निवेदन करते हैं कि आप कृपा करके हमें कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें।
Thank you
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