राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के किले का इतिहास बहुत ही अद्भुत है। चित्तौड़ को केवल राजपूतों की बहादुरी के लिए ही नहीं बल्कि रतन सिंह की वीरता, अद्भुत योजना, समर्पण की भावना, स्वाभिमान से भी जाना जाता है। राजा रावल रतन सिंह रतनसिंह ने 1302 ई. में अपने पिता समरसिंह की पर गद्दी सम्भाली, जो राजपूत वंश के थे। राजा रतन सिंह से पहले उनके पिता समर सिंह ने यहां का कार्यकाल संभाला थे। उनसे पहले राणा तेज़ सिंह एंव उनसे और पहले राणा जयत्र सिंह ने कार्यकाल संभाले थे। राजा रावल रतन सिंह मेवाड़ के राजा समर सिंह के पुत्र थे। जिन्होंने उनकी मृत्यु के पश्चात राज गद्दी संभाली थी। जो कि राजा ने नया-नया शासन कार्य प्रारंभ किया था इसलिए अलाउद्दीन खिलजी उस पर अपना अधिकार जमाना चाहते थे। AD चित्तौड़गढ़ बेहद सुरक्षित स्थान पर बना था। इसका निर्माण बहुत ही बखूबी किया गया था। चित्तौड़ के किले की अपनी एक खासियत थी। यह राजपूतों की निशानी थी। इसे बड़े ही मेहनत से बनाया गया था, इसकी दीवारे बेहद मजबूत थी। महाराजा रतन सिंह ने 1302 ई. से 1303 ई. तक मेवाड़ पर राज किया था। राजा रावल रतन सिंह, पद्मावती, अलाउद...
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